लक्ष्मण मूर्छित हो गये
लक्ष्मण मूर्छित हो गये -
अंगद के लौटने के बाद श्रीराम ने युद्ध प्रारंभ करने की घोषणा कर दी। लंका के किले में चार बड़े फाटक थे। श्री राम ने सेना के चार भाग किए चारों पाठकों पर एक साथ आक्रमण किया गया। रावण की सेना भी जोर शोर से लड़ने लगी। राक्षसों और बन्द्रो में घनघोर युद्ध होने लगा। खून की नदियां बहने लगी। पश्चिमी दरवाजे की रक्षा रावण का पुत्र मेघनाथ कर रहा था। उस पर हनुमान जी ने आक्रमण किया। हनुमान जी ने मेघनाथ की छाती पर लात मारी। वह बेहोश हो गया। उसका सारथी उसे युद्धभूमि से लेकर भाग गया। हनुमान ने राक्षस सेना का विकट संहार किया। लाशों के ढेर लग गए।
दूसरे दिन मेघनाद ने दुगनी सेना लेकर राम सेना पर आक्रमण किया। वह महा पराक्रमी राक्षस था। और बड़ा मायावी था। आज लक्ष्मण जी ने उसका सामना किया। दोनों में भयंकर संग्राम होने लगा। लक्ष्मण ने मेघनाद के रथ के टुकड़े टुकड़े कर डाले। उसके साथी को मार डाला तब मेघनाथ ने अत्यंत तेजोमय शक्ति लक्ष्मण के ऊपर छोड़ दी शक्ति लक्ष्मण की छाती में लगी। उन्हें असहाय पीड़ा होने लगी। वह मूर्छित हो गए। हनुमान जी मूर्छित लक्ष्मण को उठा कर ले आए। वानर सेना में हाहाकार मच गया। श्रीराम अत्यंत व्याकुल हो गए। सुमित्रा माता ने लक्ष्मण को उनके हाथों में सौंपा था। वे सोचने लगे कि अब सुमित्रा माता को कैसे मुंह दिखाएंगे। राम उनके शोक में "हां लक्ष्मण "हां लक्ष्मण" कहकर विलाप करने लगे।
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