राक्षिसी शूर्पणखा की नाक कटी

 

राक्षिसी शूर्पणखा की नाक कटी -


चित्रकूट में राम , लक्ष्मण और सीता ने बहुत दिनों तक निवास किया। फिर वे दक्षिण की ओर बढे। मार्ग में उन्होंने अगस्त्य मुनि के दर्शन किये। उन्होंने राम को राक्षसों के संहार के लिए दिव्य धनुष एवं तरकस दिया। अगस्त्य मुनि ने उन्हें राक्षसों के किलों एवं गुप्त स्थानों की जानकारी भी दी। उन्हें पंचवटी में पर्णकुटी बनाकर रहने के लिए भी कहा। यह स्थान गोदावरी नदी के तट पर था। एक दिन रावण की बहन शूर्पणखा वहां आयी। वह राम लक्ष्मण के रूप पर मोहित हो गयी। उसने राम से विवाह का प्रस्ताव रखा। राम ने उसे लक्ष्मण के पास भेज दिया। लक्षमण ने उसका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। तब वो क्रोधित होकर उन्हें डराने लगी। लक्षमण को क्रोध आ गया। जब शूर्पणखा सीता जी पर झपटी तो उन्होंने उसकी नाक काट दी। वह खूब रोई - चिल्लाई। खून से लथपत वह अपने चचेरे भाई खर और दूषण के पास पहुंची।


बहन का अपमान देखकर खर और दूषण को क्रोध आ गया। उन्होंने राम पर आक्रमण कर दिया। उनके साथ एक विशाल सेना थी। सीता डरने लगी। तब राम ने लक्ष्मण के साथ सीता को एक सुरक्षित गुफा में भेज दिया। राम का राक्षसों के साथ घनघोर युद्ध हुआ। वे बड़े वीर और कुशल योद्धा थे। उनके बाणो के सामने कोई रुक नहीं सका। भीषण युद्ध के बाद अनेक राक्षस मारे गए। जो बचे , वे भी भाग गए। खर - दूषण के मारे जाने से शूर्पणखा निराश हो गयी। उसने लंका जाकर अपने बड़े भाई रावण से सारा हाल कह सुनाया। राम की वीरता का समाचार सुनकर रावण चिंतित हो गया। वह राम - लक्षमण को मारने का उपाय सोचने लगा।

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