रावण मारा गया
रावण मारा गया -
मेघनाथ की मृत्यु से रावण को गहरा आघात लगा। उसके सभी प्रमुख वीर मारे जा चुके थे। सेना का भी अधिकांश भाग युद्ध में नष्ट हो गया था। बहुत थोड़े से राक्षस ही शेष बचे थे। वह भी लड़ते-लड़ते थक गए थे। वह भयभीत हो गए थे। रावण की रानी मंदोदरी ने पति को फिर समझाया कहा कि- " अब भी समय है। राम से अपनी गलती के लिए क्षमा मांग लीजिए। सीता को आदर सहित वापस कर दीजिए। राम महान है। दयालु हैं। आपको शमा कर देंगे। रावण के ऊपर तो काल नाच रहा था। उसकी मति भ्रष्ट हो गई थी। पत्नी की बात उसने नहीं मानी।
उसका अहंकार बहुत बढ़ गया था। उसे अपनी शक्ति का बहुत घमंड था। घमंडी का सिर हमेशा नीचा होता है। राम रावण का युद्ध प्रारंभ हुए 13 दिन हो गए थे। 14 दिन रावण स्वयं रणभूमि में उतर पड़ा। वह सोने के रथ पर सवार था। अनेक राक्षसी योद्धा उसकी रक्षा कर रहे थे। रावण को रणभूमि में देखकर श्रीराम पैदल ही आगे बढ़े उनके पांव में जूते तक नहीं थे। और कवच भी नहीं था।
विभीषण नहीं आदेश राम से कहा रावण महा पराक्रमी है। आप बिना राठौर कवच के उसे कैसे जीत सकेंगे। राम ने हंसकर उत्तर दिया। विभीषण इस संसार में धर्म और अधर्म का युद्ध सदा से होता आया है। धर्म के रथ पर सवार की सदैव जीत होती है। मैं धर्म के लिए लड़ रहा हूं। रावण पापी है। धर्म के लिए लड़ रहा है। अतः मेरी जीत सुनिश्चित है। तुम चिंता मत करो राम ऐसा कह ही रहे थे। कि स्वर्ग के राजा इंद्र ने अपना रतलाम के लिए भेज दिया। बस फिर क्या था। राम रावण के बीच घमासान युद्ध होने लगा। पृथ्वी लाशों से पट गई। खून की नदियां बहने लगी। चारों ओर मारो मारो की आवाज ही सुनाई देती थी। राम अपने पहनने वालों से रावण के सिरों को काट काट कर गिराने लगे। वह मरता ही नहीं था। कटे सिरों की जगह नए सिर उग आते थे। तब विभीषण ने राम को बतलाया- रावण के नाभि कुंड में अमृत का वास है। वह यू नहीं मरेगा। तब राम ने अगस्त्यमुनि के दिए अस्त्र से रावण की नाभि कुंड पर वार किया। यह आग लगते ही रावण विशाल कटे पेड़ की तरह जमीन पर आ गिरा। वानर सेना राम का जयघोष करने लगी देवता दुंदुभी बजाने लगे।
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