अशोक वाटिका में हनुमान
अशोक वाटिका में हनुमान -
समुद्र पार कर हनुमान लंका पहुंचे। यह एक बहुत बड़ा द्वीप के मध्य में रावण का विशाल किला बना था। किले के चारों ओर ऊँची - ऊँची प्राचीरे थी। इन प्राचीरो के बीच मे बड़े- बड़े लोहे के द्वार थे। उन लोगों के द्वारों पर अनेक राक्षस नंगी तलवारें लेकर पहरा दे रहे थे। कहीं से भी अंदर घुस पाना संभव ना था। रात्रि में हनुमान जी ने वेश बदला। वेश बदलकर वे चतुराई से अंदर घुस गए। अंदर उन्होंने पूरी लंका चांदमारी वह सोने चांदी से मरे हुए अनेक विशाल भवन थे। एक भवन में उन्होंने भगवान का मंदिर और तुलसी का पौधा देखा। उस भवन से आराधना के स्वर गूंज रहे थे। वह रावण का सबसे छोटा भाई विभीषण था।
वह राक्षस होते हुए भी सज्जन था। अतः हनुमान ने उसको अपना परिचय दिया विभीषण हनुमान से मिलकर बहुत प्रसन्न हुआ उन्होंने हनुमान को अशोक वाटिका में सीता के होने की बात बतलाई अशोक वाटिका का मार्ग भी बतलाया। हनुमान अशोक वाटिका में पहुंचे सीता जी एक वृक्ष के नीचे बैठी थी। वह अत्यंत दुखी थी। हनुमान ने उन्हें राम की अंगूठी दी राम का संदेश कहा उन्हें धैर्य बंधाया और कहा आप चिंता ना कीजिए।शीघ्र ही एक विशाल सेना लेकर श्री राम लंका पर आक्रमण करने वाले हैं। वे रावण को मारेंगे और आपको मुक्त कराएंगे। सीता प्रसन्न हुई तब हनुमान ने उनसे कहा मुझे भूख लगी है। यहां के फल खाने की मुझे आज्ञा दीजिए। सीता जी ने हंसकर आज्ञा दे दी। तब हनुमान वृक्षों पर कूद कूद कर फल खाने लगे उन्होंने रावण के उस सुंदर उपवन को नष्ट भ्रष्ट कर दिया राक्षसों में खलबली मच गई।
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