कुम्भकर्ण मारा गया

 

कुम्भकर्ण मारा गया -

लक्ष्मण के मोर्चा से जाग उठने का समाचार सुनकर रावण, चिंतित हो गया। उसने अपने भाई कुंभकरण को बुलाया। वह बहुत बलशाली था। वह सो रहा था। वह 6 महीने सोता रहता था। राक्षस उसे जगाने में भी डरते थे। अतः ढोल नगाड़े बजाए गए।



 तब उसकी नींद खुली रावण ने उसको अपनी पूरी कहानी सुनाई सारी बात सुनकर कुंभकरण ने बड़े भाई से कहा" अभी भी समय है। आप सीता को वापस कर दीजिए। दूसरे की स्त्री को छीनना घोर पाप है। आप श्रीराम से संधि कर लीजिए। कुंभकरण की बात भी रावण ने नहीं मानी। उसने युद्ध में जाने को कहा" कुंभकरण ने भाई की बात मान ली। रणभूमि में जाकर उसने वानरों का भीषण संहार करना शुरू कर दिया। सुग्रीव और अंगद उससे लड़ने गए पर घायल होकर लौट आए। हनुमान भी उसके सामने ना टिक सके। उसका घुसा खाकर वे बेहोश हो गए। नल नील को उठाकर उसने धरती पर पटक दिया। वानर सेना भयभीत हो भागने लगी।


 अंत में उसने स्वयं सामने आए। उन्होंने तीखे बाणों से उसकी दाईं भुजा काट डाली। तब वह बाय भुजा से राम पर पत्थरों की वर्षा करने लगा। राम ने उसकी बाईं भुजा भी काट दी। वह क्रोधित हो उठा विकराल मुंह फैला कर राम को जीवित ही निगलने को दौड़ा। राम ने उसका मुंह बाणो से भर दिया। फिर एक बार से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। बड़ों से भरा उसका सिर रावण के आगे जाकर गिरा

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